योग क्या है? (What is Yoga)

 

योग


योग Yoga, संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ "एकीकृत होना" या "योग्य होना" है। योग को आध्यात्मिक, शारीरिक और मानसिक स्थिति का एक योग्य अवस्था माना जाता है। यह भारतीय धार्मिक और दार्शनिक परंपरा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


योग का मूल उद्देश्य मन को शांत, स्थिर और एकाग्र करके आत्मा के साथ संयोग स्थापित करना है। इसके माध्यम से व्यक्ति मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करता है और अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में समृद्धि, स्वास्थ्य और आनंद की प्राप्ति करता है।


योग की प्राचीन परंपरा में आठ विभिन्न आंगिकाओं को मान्यता दी जाती है, जो इसके प्रयोग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये आंगिकाएं हैं:


आसन (Postures): शारीरिक आसन जो मन, शरीर और आत्मा के संयोग को सुखद बनाने के लिए किए जाते हैं।

प्राणायाम (Breathing exercises): विभिन्न प्रकार के श्वास के अभ्यास जो प्राण की प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए किए जाते हैं।

ध्यान (Meditation): मन को एक एकाग्र ध्यान स्थिति में लाने के लिए किये जाने वाले अभ्यास।

प्रत्याहार (Withdrawal of senses): इंद्रियों को बाहरी विषयों से वापस लेने की क्षमता को विकसित करने का अभ्यास।

धारणा (Concentration): मन को एक विषय या वस्तु पर एकाग्र करने का अभ्यास।

ध्यान (Contemplation): ध्यान की अवस्था को स्थिर करने और विचार की गहराई में प्रवेश करने का अभ्यास।

समाधि (Samadhi): एक अवस्था जब मन पूर्णतया शांत हो जाता है और व्यक्ति एकत्व का अनुभव करता है।

यम और नियम (Ethical principles): योगिक जीवनशैली के आधारभूत सिद्धांत और नियम।

योग आराम, मन की शांति, स्वास्थ्य, और आनंद के लिए एक पूर्णतया विकसित और संतुलित जीवनशैली का प्रशिक्षण देता है। योग साधना अभ्यास द्वारा, व्यक्ति अपने शरीर, मन और आत्मा के संयोग को समझने और सुधार करने के लिए अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानता है। इसे न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि आध्यात्मिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

योग का इतिहास

योग का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसकी मूल उत्पत्ति भारतीय उपमहाद्वीप में हुई है। योग की प्राचीनता को संकेत इस बात से मिलता है कि वेदों में भी इसका उल्लेख मिलता है। योग के अविष्कार को महर्षि पतंजलि के नाम से जोड़ा जाता है, जिन्होंने 'योग सूत्र' की रचना की है, जो योग के प्रमुख संग्रहशास्त्र माना जाता है। इस ग्रंथ में अष्टांग योग आरंभिक प्रवृत्ति को समझाने वाले आंगिकाओं का वर्णन किया गया है। विविध योग प्रकारों का प्रचलन काफी समय पहले से ही था। भारतीय धार्मिक और दार्शनिक परंपराओं में योग को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था। योग की गहरी संस्कृति बौद्ध और जैन धर्मों में भी पाई जाती है। बौद्ध धर्म में ध्यान और मनन की प्रथाएं प्रचलित थीं, जबकि जैन धर्म में आत्म-विज्ञान के माध्यम से मुक्ति की प्राप्ति के लिए योग का उल्लेख किया गया है। योग के सिद्धांतों और व्यायामों को बाहरी दुनिया तक पहुंचाने का कार्य कई योगियों, आध्यात्मिक गुरुओं और संतों ने किया है। 19वीं और 20वीं सदी में स्वामी विवेकानंद, योगानंद स्वामी, भगवान श्री रामानुजाचार्या, तिरुवल्लुवर, पतंजलि महर्षि और श्री कृष्णाचार्या जैसे महापुरुषों ने योग को विश्व स्तर पर प्रचारित किया। आजकल, योग विभिन्न भागों में व्यापक रूप से प्रचारित हो रहा है और इसे एक स्वास्थ्य और विकास का माध्यम माना जाता है। योग के विभिन्न प्रकार जैसे हठ, आसन, प्राणायाम, कुंडलिनी, बिक्रम और राज योग आदि विभिन्न प्रशंसित हैं। योग आधुनिक जीवन में स्ट्रेस कम करने, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने, चित्त को शांत करने, और आंतरिक संतुष्टि और आनंद की प्राप्ति करने का एक मार्ग प्रदान करता है।


योग के लाभ

योग का अभ्यास करने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के विभिन्न लाभ प्राप्त हो सकते हैं। यहां कुछ मुख्य योग के लाभ दिए गए हैं: शारीरिक स्वास्थ्य: योग आसनों, प्राणायाम और शुद्धि क्रियाओं के माध्यम से शारीर की संरचना, स्थैर्य, लचीलापन और सुचारू रूप से कार्य करने की क्षमता में सुधार करता है। यह मांसपेशियों, हड्डियों, संवेदनशीलता, संतुलन और श्वासनली को मजबूत बनाने में मदद करता है। मानसिक स्वास्थ्य: योग ध्यान, मन्त्र जप, और प्रत्याहार के माध्यम से मन को शांत, स्थिर और अधिकारित करने में मदद करता है। यह मनोविकारों को कम करने, तनाव को कम करने, चिंताओं को दूर करने, ध्यान को स्थायी करने और मानसिक स्थिति को शांत करने में मदद करता है। आध्यात्मिक विकास: योग साधना व्यक्ति को अपनी आंतरिक स्वभाव को समझने, सत्य की प्राप्ति, स्वयं के साथ संयोग स्थापित करने और आनंदपूर्ण जीवन की प्राप्ति में मदद करता है। यह विचारशीलता, स्वयं-परीक्षण, समर्पण और सामरिकता का विकास करने में मदद करता है। स्ट्रेस कम करना: योग में शामिल ध्यान, प्राणायाम और शारीरिक अभ्यास तनाव को कम करने, मन को शांत करने और मनोविकारों से निपटने में मदद करते हैं। यह मन को ताजगी और स्पष्टता से भरता है और स्थितिकरण और सुख की अनुभूति प्रदान करता है। शारीरिक लचीलापन: योगासन और प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर की लचीलापन क्षमता में सुधार होता है, जो कीचड़ करने, मुड़ने और ट्विस्ट करने की क्षमता को बढ़ाता है। यह कुपोषण, वातावरणिक अवसाद, और संगठनशीलता के लक्षणों को भी कम कर सकता है। योग के और भी कई लाभ होते हैं, और इन लाभों को प्राप्त करने के लिए नियमित योगाभ्यास करना अद्वितीय महत्वपूर्ण है। यह शरीर, मन और आत्मा के एकीकरण का मार्ग प्रदान करता है और संतुलित और सुखी जीवन की प्राप्ति में मदद करता है।

योग के नियम

योग के अभ्यास को समृद्ध, प्रभावी और सुरक्षित बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम होते हैं। ये नियम योगी को योग के अभ्यास में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं और उन्हें संतुलित और सत्याप्रिय जीवन जीने में सहायता करते हैं। यहां कुछ मुख्य योग के नियम दिए गए हैं: यम: यम योग के नैतिक नियम हैं जो सामाजिक और आध्यात्मिक अनुशासन को संवारने में मदद करते हैं। ये नियम हैं: अहिंसा (अहिंसा के प्रति अनुकरण), सत्य (सत्यवाद), अस्तेय (अपरिग्रह), ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचर्य की आचरण), और अपरिग्रह (अवहेलना की अभाव). नियम: नियम योग के अभ्यास के व्यवहारिक नियम हैं जो साधक को आत्म-नियंत्रण और स्वाध्याय के माध्यम से अभ्यास करने के लिए आत्मसमर्पित करते हैं। इनमें शौच (शुद्धि), संतोष (संतुष्टि), तपस्या (तप), स्वाध्याय (अध्ययन) और ईश्वर-प्रणिधान (ईश्वर में समर्पण) शामिल हैं। आसन: योग के अभ्यास के लिए स्थिर और सुखद आसन का चयन करना महत्वपूर्ण है। यह स्थिरता और आरामपूर्वक अभ्यास करने की अनुमति देता है। प्राणायाम: प्राणायाम श्वास के नियंत्रण और प्राण के प्रवाह को बढ़ाने के लिए विभिन्न श्वास-विज्ञान तकनीकों का अभ्यास है। यह श्वास और मन के बीच संतुलन स्थापित करता है। प्रत्याहार: प्रत्याहार मन के संचार को इन्द्रियों से हटाने का अभ्यास है। यह मन को अपनी बाहरी प्रवृत्तियों से अलग करके अंतर्मुखी बनाता है। धारणा: धारणा एक एकाग्र और निर्मल मन की अवस्था है, जहां मन एक विषय या आधार पर स्थिर रहता है। यह मन को स्थिर करने और अवधारणा को एकीकृत करने का अभ्यास है। ध्यान: ध्यान मन की स्थिरता और एकाग्रता की अवस्था है, जहां मन एक विषय पर सक्रिय रूप से टिका रहता है। यह मन की वृत्तियों को शांत करके आंतरिक शांति और अवधारणा की अनुभूति कराता है। समाधि: समाधि योग के उच्चतम अवस्था है, जहां मन पूर्णतः एकाग्र हो जाता है और व्यक्ति अपनी सच्ची स्वरूपता को अनुभव करता है। यह एक अत्यंत गहरे साधना की अवस्था है और आध्यात्मिक अनुभवों को संभावित करती है। योग के नियमों का पालन करने से योगी अपने अभ्यास को गहराई और प्रासाद में ले जा सकता है और साधना के लाभों को प्राप्त कर सकता है। यह उसे संतुलित, सुखी और सत्याप्रिय जीवन की ओर प्रगट करता है।


योग के दौरान सावधानियां


योग के दौरान सभी प्रयास करने वालों को सुरक्षा और अवधारणा की दृष्टि से कुछ सावधानियों का पालन करना चाहिए। यह सावधानियां निम्नलिखित हो सकती हैं: गुरु की दिशा में अभ्यास करें: योग के अभ्यास में गुरु की दिशा में अभ्यास करना महत्वपूर्ण है। एक अनुभवी योग गुरु से मार्गदर्शन और शिक्षा प्राप्त करना सुनिश्चित करें। शरीर की सीमाएं समझें: योग के दौरान अपने शरीर की सीमाओं को समझें और उन्हें न तोड़ें। ध्यान रखें कि आपके शारीरिक स्थिति कमजोर न हो और आपके योगाभ्यास के लिए उपयुक्त आसनों का चयन करें। सीमित पेट या खाली पेट योग अभ्यास न करें: योग के अभ्यास के लिए पेट को संतुलित और हल्का भोजन करें। भोजन के तुरंत बाद योग अभ्यास न करें, लगभग 2-3 घंटे का अंतर रखें। अपने सामर्थ्य के अनुसार अभ्यास करें: अपने शारीरिक सामर्थ्य के अनुसार योग अभ्यास करें और अत्यधिक परिश्रम न करें। आपको स्थिरता, सुख और आराम के साथ अभ्यास करना चाहिए। चोट या दर्द की अवस्था में योग न करें: यदि आपको किसी प्रकार की चोट या दर्द है, तो योग अभ्यास करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें। नियमितता से अभ्यास करें: योग का नियमित अभ्यास करना महत्वपूर्ण है। एक नियमित योग प्राक्रम बनाएं और उसे नियमित रूप से अभ्यास करें। अपने सीमितताओं को समझें: योग के दौरान अपने शरीर की सीमाएं समझें और अपने सामर्थ्य के अनुसार अभ्यास करें। अपनी गतिशीलता को सीमित रखें और अपने शारीर को चोट या चिढ़ावे से बचाएं। शुरुआत में संज्ञाना बढ़ाएं: अगर आप नये हैं योग अभ्यासी तो शुरुआत में धीरे-धीरे और संज्ञाना बढ़ाते हुए अभ्यास करें। अपने शरीर को ध्यान दें और अत्यधिक तनाव या जटिल आसनों से बचें। योग के दौरान ये सावधानियां आपको सुरक्षित और अधिक प्रभावी अभ्यास की ओर ले जाएंगी। इसलिए, योग के दौरान इन सावधानियों का पालन करें और अपने अभ्यास को सुरक्षित रखें।


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